यादगार पल

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मंगलवार, 2 जून 2015

तुम्हारे हर सवाल ....(कविता)

तुम्हारे हर  सवाल मेरे दिल के अन्दर उलफत मचाता रहेगा।
न जाने कब तक यादों के झरोखो मे आशियाना बनाता रहेगा
तुम्हारे हर कायदा को बरकरार तब- तक संजोकर रखूँगा मैं,
जब- तक हुस्न  के हर सलीके नजरों के रास्ते  समाता रहेगा।
तुम्हारे लबों से निकली लफ्जों के मिठास मन में आता रहेगा।
तुम्हारे काले-काले घुघराले बाल घटा के जैसे बिखरता रहेगा।
मेरे उपर तुम्हारी आखों का नशा इस तरह चढता चला गया,
कि रोक नही पाया अपनेआपको मैं नशिला बनता चला गया।
 @रमेश कुमार सिंह /१३-०५-२०१५
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